24 सितम्बर 2021, सवेरे:
कल प्रेमसागर जी के दो कांवर मित्र – भुचैनी पांड़े और अमरेंद्र पांड़े 10-11 बजे तक अमरकण्टक पंहुचेंगे। वे अपनी कांवर साथ ले कर आ रहे हैं। प्रेमसागर की कांवर कारपेण्टर जी से बनवा रहे हैं रेस्ट हाउस के वर्मा जी। परसों ये लोग नर्मदा उद्गम स्थल से जल उठा कर रवाना होंगे ॐकारेश्वर के लिये। प्रेम-भुचैनी-अमरेंद्र की तिगड़ी नये नये अनुभव करायेगी ब्लॉग पर।
प्रेमसागर आज सवेरे का चित्र भेजे। चाय पीते समय सामने का चित्र। रेस्ट हाउस का प्रांगण हरा भरा है। उस्पर कैप्शन लगाया है – रेस्ट हाउस के बाहर का सीन। कुहासा लगा हुआ है। हर हर महादेव।
प्रेम सागर में यही दिक्कत है – विस्तृत विवरण स्वत स्फूर्त नहीं निकलता। हर हर महादेव सम्पुट की तरह है, जो और कुछ न बोलने पर लगाया जा सकता है! बाकी, दृश्य कैसा बन रहा है, वह आप खुद ही देखें और उसकी शाब्दिक कल्पना करें। यह कृत्य वे सामने वाले पर छोड़ देते हैं।

उन्होने वन विभाग की औषधीय सम्पदा के चित्र भेजे हैं। कल मैं लिख भी चुका हूं कि वन विभाग आसवन कर (या अन्य प्रकार से) औषध निर्माण भी करता है। एक महिला साधना मार्को वहां काम करती हैं। उनके अलावा नर्सरी में काम करने वाले पांच सात लोग और सफाई कर्मी हैं। छोटे स्तर पर ही होता होगा यह कार्य, पर है यह रोचक। मन होता है कि वहां कम से कम एक पखवाड़ा रुका जाये।
अनेक औषधीय पौधों और वृक्षों के चित्र प्रेमसागर जी ने भेजे हैं। यह रुद्राक्ष का वृक्ष है –

प्रेमसागर जी ने उस वृक्ष के नीचे से रुद्राक्ष के सूखे फल भी बीने हैं। उनकी वे माला बनायेंगे। मैं सोचता हूं कि 108 मनकों की मानक माला के बाद भी अगर बच रहें तो वे मेरे लिये रख लें। कभी मुझसे मिलेंगे तो उनकी यात्रा के प्रतीक के रूप में मोमेण्टो जैसा होगा वह! :-)

एक अन्य वृक्ष – सीता अशोक की बात की प्रेमसागर जी ने। इसका उपयोग सम्भवत: अशोकारिष्ट बनाने में होता है। वृक्ष और उसके फल के चित्र नीचे दिये गये हैं।


अन्य अनेक वनस्पतियों के चित्र भेजे हैं। मसलन मयूरपंखी का हम यहां छोटा पौधा देखते हैं; वहां उसका बड़ा वृक्ष है –

जिस वन सम्पदा की बात कर रहे हैं प्रेम सागर जी, उनके बारे में तो एक ब्लॉग पोस्ट क्या, पुस्तक बन सकती है – अमरकण्टक के वृक्ष और वनस्पतियाँ। मैकल पर्वत, जिसका अमरकण्टक अंश है और विंध्य-सतपुड़ा के जंगलों की वन सम्पदा पर प्रवीण जी की दो पुस्तकों की जानकारी तो मुझे है। बहुत श्रमसाध्य अध्ययन किया है उन्होने।
| *** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
हनूमान जी लक्षमण जी के लिये संजीवनी उखाड़ने हिमालय पर चले गये। यहां आये होते तो यहां भी काम की चीज उन्हें मिल जाती। शायद। और यहां तो उतने समय में दो-तीन राउण्ड लगा लेते! रामचंद्र जी को मूर्छित भाई की दशा देख विलाप करने का शायद चांस नहीं मिलता। :lol:
प्रेम सागर जी को परसों नर्मदा मंदिर के दर्शन लोगों ने कराये। लोगों के बीच खड़े प्रेमसागार वीआईपी जैसे लग रहे हैं।

प्रेम सागर जी का एक चित्र रेंजर साहब – मिथुन सिसोदिया जी के साथ भी है। आज वहां चीफ कंजरवेटर साहेब – कोई जोशी जी और मिश्र जी भी आने वाले हैं। प्रेमसागर जी से उनकी भी मुलाकात होगी। प्रेम जी का वीअईपियत्व बढ़ रहा है। मैं और आप उसके दर्शक भर हैं! :lol:

कल प्रेमसागर जी के दो कांवर मित्र – भुचैनी पांड़े और अमरेंद्र पांड़े 10-11 बजे तक अमरकण्टक पंहुचेंगे। ये दोनो सज्जन बलिया, उत्तरप्रदेश के हैं। वे अपनी कांवर साथ ले कर आ रहे हैं। प्रेमसागर की कांवर कारपेण्टर जी से बनवा रहे हैं रेस्ट हाउस के वर्मा जी। परसों ये लोग नर्मदा उद्गम स्थल से जल उठा कर रवाना होंगे ॐकारेश्वर के लिये। प्रेम-भुचैनी-अमरेंद्र की तिगड़ी नये नये अनुभव करायेगी ब्लॉग पर। आपने ब्लॉग सब्स्क्राइब न कर रखा हो तो कर ही लीजिये। … रोज एक ब्लॉगपोस्ट कांवर यात्रा पर लिखने का आदेश/ठेका तो भगवान महादेव ने मुझे थमा ही दिया है! बदले में यात्रा के पुण्य का पांच सात परसेण्ट शायद दे दें। वैसे क्या पता; शायद न भी दें! जैसा मैंने कहा, शंकर जी बहुत डाईसी देव हैं। आप उनकी भक्ति कर सकते हैं, पर उनसे सख्यभाव रखने का कोई विवरण दिखता नहीं! … ज्यादा सटने पर वे लतियाने की प्रवृत्ति वाले देव हैं!
एक ठो नंदी पांड़े ही हैं जो साथ साथ रहे हैं शंकर जी के। पर वो बेचारे भी मंदिर के बाहर सर्दी-बारिश-घाम सहते बैठे रहते हैं इंतजार में। कभी महादेव से ज्यादा लिपिड़-लिपिड़ करते नहीं सुना उनके बारे में। हम नंदी जी के असिस्टेण्ट भी बन पायें तो जीवन तर जाये!
इस पोस्ट के लिये इतना ही। बाकी फिर। हर हर महादेव। जय हो!
अंजनी कुमार जी की ट्विटर पर टिप्पणी –

प्रकृति यहाँ एकान्त बैठ निज रूप सँवारति…
LikeLiked by 1 person
🙏
LikeLike
हमेशा की तरह रोचक और ज्ञानवर्धक। मोरपंखी का इतना बड़ा वृक्ष पहली बार देखा। हमलोग इसकी पत्तियों को पुस्तकों में रखते थे😊
LikeLiked by 1 person
शंकरजी को परम वैष्णव कहा गया है, संभवत: गृहस्थ वैष्णव अपनी चरम अवस्था में शिवत्व को प्राप्त हो जाता होगा।
पोस्ट लिखने का काम तो शंकरजी ने सौंपा ही है आपको… फल श्रीकृष्ण अपने हिसाब से दे देंगे।
LikeLiked by 1 person
और रुद्राक्ष तथा सीता अशोक के दर्शन कराने के लिए हृदय से आभार… 🙏
LikeLiked by 1 person
वाह, नौकरी शंकर जी की करें और पगार बंसी वाले से मांगें – सनातन धर्म में यही झंझट है. यही कन्फ्यूजन. अल्लाह और ईसा के यहां वह complication नहीं है. 😁
LikeLiked by 1 person