ओमप्रकाश का भूंजा – लो कैलोरी ऑप्शन

सब्जी लेने गया था महराजगंज कस्बे के बाजार में। बगल में, फुटपाथ पर खड़ा था भूंजा वाले का ठेला। एक गांव वाले अधेड़ खरीद रहे थे। उनका आदेश था कि बीस रुपये में उपलब्ध सभी सामग्री – चना, मूंगफली (यहाँ बदाम कहते हैं जाने क्यों), चिवड़ा, लाई, मटर और कॉर्न-फ्लेक्स आदि सब कुछ – मिला कर भून दे। वह आदेश पालन करने के बाद उसे फिर आदेश दिया – एक बीस रुपये का और भून कर बना दे वैसे ही अलग से। और साथ में मिर्च वाली चटनी भी चार पुड़िया। … भूंजे के ठेले पर हर व्यक्ति का अपनी पसंद के अनुसार अपना ‘डिजाइनर-भूजा’ बनवाता और ले जाता है।

मेरे पास उन सज्जन के ऑर्डर पूरा होने की प्रतीक्षा करने का विकल्प नहीं था।

मेरा भूंजा – मूंगफली, चिवड़ा और चने का भूजा – भी बढ़िया था। गर्म, कुरकुरा, बिना तेल मसाले वाला और नमक भी हल्का। दिया भी भुंजवा जी ने प्लास्टिक की पन्नी में नहीं, कागज के लिफाफे में।

मुझे और मेरी पत्नी जी को भूंजा बहुत भाया।

मौसम अच्छा हो गया है। शाम चार बजे साइकिल से बाजार निकला जा सकता है। और कोई काम हो या न हो, बीस रुपये का भूंजा ले कर घर आया जा सकता है। मैंने गणना की – चालीस मिनट लगेंगे इस काम में। पांच किलोमीटर साइकिल चलेगी। आठ-नौ किमीप्रघ की रफ्तार से चलाने पर रोज चालीस हार्ट-प्वाइण्ट अर्जित होंगे ‘गूगल फिट’ पर। उसके साथ शाम के स्नेक्स के रूप में भूंजा जैसा सात्विक पदार्थ मिल जाया करेगा। साल के छ महीने अगर यह नियमित किया जाये तो पांच किलो वजन कम करने का जुगाड़ हो जायेगा।

ऐसे आकलन और गणनायें मैं बहुत किया करता हूं। आज भी वैसे ही की।

भुंजवा का नाम था ओमप्रकाश। बताया कि दोपहर बारह बजे से रात नौ बजे तक वे ठेला लगाते हैं। उसके बाद पीछे की दुकान के बराम्दे में ठेला पार्क कर देते हैं। उनके पिताजी यहीं ठेले के पास सोते हैं रात में। ओमप्रकाश खुद घर जा कर सोते हैं।

ओमप्रकाश, भूंजा के ठेले वाले

अगले दिन अपने आकलन/संकल्प के अनुसार शाम चार बजे ओमप्रकाश के ठेले पर मैं पुन: गया। बीस रुपये का भूंजा – मूंगफली, चिवड़ा और चना भुनवा कर घर लौटा। घर में शाम की चाय उसी भूजा स्नेक्स के साथ हुई। गूगल फिट ने 38 हार्ट-प्वाइण्ट दिये इस साइकिल चलाने के लिये। बताया कि इस काम में 169 केलोरी खर्च हुईं।

नित्य भूंजा-अनुष्ठान:
आठ-नौ किमीप्रघ की रफ्तार से साइकिल चलाने पर रोज चालीस हार्ट-प्वाइण्ट अर्जित होंगे ‘गूगल फिट’ पर। उसके साथ शाम के स्नेक्स के रूप में भूंजा जैसा सात्विक पदार्थ मिल जाया करेगा। साल के छ महीने अगर यह नियमित किया जाये तो पांच किलो वजन कम करने का जुगाड़ हो जायेगा।

वापसी में गंगा घाट की ओर जाते वाहन दिखे। उनमें महिलायें जा रही थीं घाट पर शाम के सूरज का अर्ध्य देने के लिये। आज डाला छठ की संझा वाली पूजा है। इस इलाके में पहले न करवा चौथ का प्रचलन था, न डाला छठ का। अब ये दोनो पर्व धूम धाम से बाजे गाजे के साथ मनाये जाने लगे हैं। लोग सोशियो-कल्चरल व्यापकता अपना रहे हैं और मैं भुंजवा-भरसांय-भुने दाने की ओर लौटने के उपक्रम कर रहा हूं। मेरा मानना है कि दीर्घ जीवन के सूत्र में साइकिल चलाने और भूंजा सेवन का महत्वपूर्ण स्थान है। इन्ही के साथ जीवन शतायु होगा।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “ओमप्रकाश का भूंजा – लो कैलोरी ऑप्शन

  1. ओम नमो नारायण महाराज
    आज आपकी शेयर पोस्ट पडने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मन एक एक पोस्ट को पढ पढ कर ललचा रहा है काफी समय बाद आपकी तरह उच्च स्तरीय लेखक को जानने का अवसर मिला सहृदय धन्यवाद इसी तरह लिखकर युवा वर्ग को नेतृत्व प्रदान करे

    Liked by 1 person

    1. युवा वर्ग को नेतृत्व!? ये शब्द तो संगीतमय हैं मेरे लिए!
      मैं तो सोचता था कि शहर में रहने या शहरी जीवन की सार्थकता को बड़े फॉन्ट में देखने वाला युवा तो मेरे कहे या लिखे को यूँ ही समझता होगा!
      आपको धन्यवाद जी 🙏🏼

      Like

  2. चंद्रमोहन गुप्त, फेसबुक पेज पर –
    मेरा मानना है कि दीर्घ जीवन के सूत्र में साइकिल चलाने और भूजा सेवन का महत्वपूर्ण स्थान है। इन्ही के साथ जीवन शतायु होगा।
    ……
    👌👌👍👍
    आपका मानना मुझे 100% उचित लगता है।
    भूजा तेल घी से मुक्त और फाइबर युक्त होता है।
    सही पाचन के लिए सर्वथा उपयुक्त और बाकी साइकिल चालन से हर तरह की इक्सरसाइज भी हो जाती है और पसीने के साथ शरीर में जमा गंदगी भीर निकल जाती है।

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started