सूखे पत्ते बीनते बच्चे


सूखे पत्ते जैसी तुच्छ वस्तु, जिसका कोई मोल नहीं लगाता और जो कूड़ा-करकट की श्रेणी में आती है, किसी को इतनी प्रसन्नता दे सकती है?! गरीबी की प्रसन्नता!

राजमणि राय और उम्र का एकाकीपन


उनकी बातों से लगा कि वे मेरी सिम्पैथी चाहते हैं पर अकेले जीने में बहुत बेचारगी का भाव नहीं है। राजमणि ने अकेले जिंदगी गुजारने के कुछ सार्थक सूत्र जरूर खोज-बुन लिये होंगे। इन सज्जन से भविष्य में मिलना कुछ न कुछ सीखने को देगा।

अतिथि – श्री नारायण शुक्ल और उनकी टीम


यह तो साफ हो ही गया कि मेरे ब्लॉग को बहुत चाव से उन्होने पढ़ा है और इस गांवदेहात के बहुत से पात्रों से वे परिचित हो गये हैं। सिंगापुर में रहता कोई व्यक्ति अगर उस तरह का परिचय पा लेता है तो और क्या कहूं – ‘मानसिक हलचल’ धन्य हो गया।

Design a site like this with WordPress.com
Get started