“मेरे पास परधानी की तीन चार झकाझक, सनसनीखेज खबरें हैं। पर सुनाऊंगा तभी जब बढ़िया हलुवा बनेगा। और एक खबर, जो बहुत ही खास है, वह तो तभी सुनाऊंगा, जब हलुये में काजू किशमिश भी पड़ेगा।”
Category Archives: ग्रामचरित्र
आज आंधी आई
नित्य के काम होल्ड पर चले गये थे। आखिर आंधी जो आ गयी थी! चैत्र मास में आंधी-पानी और बिजली का कौंधना देखा।
ढूंढी बोले – बहनोई, मानसम्मान ही बड़ी चीज है, #गांवपरधानी का क्या!
ढूंढी प्रधानी के व्युह से अलग हो दार्शनिक टाइप हो गये थे। हर आदमी हो जाता है! पर अच्छा लगा ढूंढी का आ कर मिलना और बोलना बतियाना।
