अगियाबीर की पुरातात्विक खुदाई का कार्य अन्तिम चरण में


मार्च के उत्तरार्ध में आये थे बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग के लोग अगियाबीर टीले के दक्षिणी-पूर्वी भाग में उत्खनन करने। करीब तीन सप्ताह बाद प्रोफेसर अशोक सिंह जी ने मुझे इस बारे में बताया। मैने पुरातत्व टीले पर चढ़ने में अपने घुटनों की तकलीफ की बात की तो डा. अशोक सिंहContinue reading “अगियाबीर की पुरातात्विक खुदाई का कार्य अन्तिम चरण में”

सोलर लालटेल झल्लर के पास रही नहीं


छ दिन पहले मैने सोलर लालटेन झल्लर को उपहार में दी थी। अकेले मड़ई में रहने वाले वृद्ध को। पर मुझे अन्देशा था कि उनके यहां से कहीं कोई चुरा न ले। या फिर इलाके के लिये फ़ैंसी वस्तु मान कर परिवार वाले ही न ले जायें। वही पता करने के लिये सवेरे साइकिल भ्रमणContinue reading “सोलर लालटेल झल्लर के पास रही नहीं”

घुरहू मुसहर से बातचीत


करहर में महुआ के पेड़ के नीचे बैठा मिला घुरहू। पास में एक करीब 10 फुट की लग्गी (पेड़ से पत्ते तोड़ने की पतले बांस की चोंच जुड़ी डण्डी) पड़ी थी। साथ में उसकी पत्नी और एक कम्बल। पत्नी पास के किसी नल से अपने बरतनों में पानी भरकर लाई थी। बरतन में था एकContinue reading “घुरहू मुसहर से बातचीत”

Design a site like this with WordPress.com
Get started