गांव की शाम


आज सर्दी कुछ कम है। सियारों की हुआँ हुआँ भी कम ही है। रेलवे स्टेशन पर लूप लाइन में खड़ी ट्रेन का डीजल इंजन ऑन है। हर थोड़ी थोड़ी देर में छींकता है। एक ट्रेन तेजी से गुजर जाती है। अब शायद लूप में खड़ी इस मालगाड़ी का नम्बर लगे।

मनोज ऑटो वाला और मंदी


मैं तुरंत आकलन करने लगता हूं। दो सौ रुपये एक तरफ के हिसाब से आठ ट्रिप। दिन भर में 1600 सौ रुपये बने। उसमें से हजार के आसपास की कमाई हो ही जाती होगी। महीने की पच्चीस-तीस हजार की आमदनी। इस इलाके की सामान्य मजूरी के हिसाब से शानदार!

भुंजईन – आकास की माई


पेड़ों की कोई भी चीज बेकार नहीं जाती। लोग उन्हें उठाने, काटने, बीनने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। इस मौसम में पत्ते नहीं झर रहे, तो यह भुंजईन जहां भी मिल रहा है, हरे पत्ते भी बीन कर संग्रह कर रही है।

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