त्रिपाठी जी ने वामपंथ से टकराव के अनेक मामले और अनेक लोगों से मिलने के प्रसंग मुझे बताये। उनसे मिलने पर लगा कि ये वामपंथी लिबरल-वाम एजेण्डा को बड़े शातिराना ढंग से शिक्षण संस्थानों और समाज में घोलने का काम करते हैं।
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नदी, मछली, साधक और भगव्द्गीता
अचिरेण – very soon – में कोई टाइम-फ्रेम नहीं है। वह ज्ञान प्राप्ति एक क्षण में भी हो सकती है और उसमें जन्म जन्मांतर भी लग सकते हैं!
नहुष -स्वर्ग से पतित नायक
नहुष में स्वर्ग से पतित होने पर भी मानवीय दर्प बना है। यही दर्प आज भी सफलता से डंसे पर अन्यथा कर्मठ मानवों में दिखता है। यही शायद मानव इतिहास की सफलताओं की पृष्ठभूमि बनाता है।
