नदी, मछली, साधक और भगव्द्गीता


अचिरेण – very soon – में कोई टाइम-फ्रेम नहीं है। वह ज्ञान प्राप्ति एक क्षण में भी हो सकती है और उसमें जन्म जन्मांतर भी लग सकते हैं!

नहुष -स्वर्ग से पतित नायक


नहुष में स्वर्ग से पतित होने पर भी मानवीय दर्प बना है। यही दर्प आज भी सफलता से डंसे पर अन्यथा कर्मठ मानवों में दिखता है। यही शायद मानव इतिहास की सफलताओं की पृष्ठभूमि बनाता है।

केदारनाथ चौबे, परमार्थ, प्रसन्नता, दीर्घायु और जीवन की दूसरी पारी


उनका जन्म सन बयालीस में हुआ था। चीनी मिल में नौकरी करते थे। रिटायर होने के बाद सन 2004 से नित्य गंगा स्नान करना और कथा कहना उनका भगवान का सुझाया कर्म हो गया है।

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