दऊरी की बुनावट देखी मैने। बहुत सुघड़ थी। बांस की सींकें जो प्रयोग की गयी थीं, उनमें कहीं कोई एसा कोना नहीं था जिससे उपयोग करने वाले की उंगलियों में फांस लग जाये। दऊरी का आकार भी पूर्णत:अर्ध गोलाकार था।
Category Archives: Katkaa
कुनबीपुर में मचान और खीरे का मोल भाव
एक मचान देख कर मैं ठहर गया। सवेरे के सूरज की रोशनी में देखने की इच्छा के कारण मेड़ पर पैर साधते हुये मचान के दूसरी ओर पंहुचा। साथ में राजन भाई थे। सवेरे की साइकलिंग में मेरे सहयात्री। महिला मचान के पास थी। नाम पूछा – अमरावती। मचान उसका नहीं था। वह सवेरे सवेरेContinue reading “कुनबीपुर में मचान और खीरे का मोल भाव”
बरसी का भोज और तिरानबे के पांड़े जी से मुलाकात
मैं बरसी का कार्यक्रम अटेण्ड करने गया था। अनुराग पाण्डेय बुलाने आये थे। अनुराग से मैं पहले नहीं मिला था। उनके ताऊ जी का देहावसान हुआ था साल भर पहले। आज बरसी थी। भोज का निमन्त्रण था। मैं सामान्यत: असामाजिक व्यक्ति हूं। मेरी पत्नीजी (गांव में बसने के बाद) काफी समय से कह रही हैंContinue reading “बरसी का भोज और तिरानबे के पांड़े जी से मुलाकात”
