नेशनल हाइवे से दिखता था। सफ़ेद विशालकाय वृक्ष। अगर छोटा होता तो मैं उसे कचनार समझता। इस मौसम में कचनार फूलता है। उसके फूल बैंजनी होते हैं पर कोई कोई पूरे सफ़ेद भी होते हैं। जब फूल लदते हैं तो पत्तियां नहीं दिखतीं। पूरा वृक्ष बैंजनी या सफ़ेद होता है। पर यह कचनार नहीं था।Continue reading “काला सिरिस (Albizia lebbeck) का सूखा पेड़ “
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समय, वर्ग, वर्ण और मैं
गांव में आने पर; उत्तर प्रदेश के सामन्ती अतीत की बदौलत; आसपास जातिगत विभाजन जबरदस्त दिखता है।
मानिक सेठ और कस्बे में कैशलेस
मानिक सेठ की महराजगंज, जिला भदोही में किराने की दुकान है। नोटबन्दी के बाद उनकी पहली दुकान थी, जहां मैने कैशलेस ट्रांजेक्शन का विकल्प पाया। पच्चीस नवम्बर की शाम थी। नोटबन्दी की हाय हाय का पीक समय। वे पेटीएम के जरीये पेमेण्ट लेने को तैयार थे। मैने अपने मोबाइल से पेमेण्ट करना चाहा पर इण्टरनेटContinue reading “मानिक सेठ और कस्बे में कैशलेस”
