प्रेमसागर की यात्रा बिना नोटबुक के और एक खराब मेमोरी के साथ हो रही है! मेरी झुंझलाहट पर वे सीधे प्रतिक्रिया नहीं करते पर कुछ देर बाद बोले – “अब भईया, निकल लिये हैं तो आगे महादेव जाने, माई जानें। वे ही कोई न कोई बेवस्था (व्यवस्था) करेंगे।”
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स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती पर विकिपेडिया पेज के बहाने
‘माता’ पुस्तक में श्री अरविंद कहते हैं कि धन दैवीय शक्ति है। यह असुरों के द्वारा हथिया ली गयी है। इसे वापस लाना है। ‘धन’ की तरह लेखन और शिक्षण संस्थायें भी दैवीय शक्तियां हैं। ये असुरों के द्वारा हथिया ली गयी हैं। इन्हें वापस लाना चाहिये।
गांव में बदलता जल प्रबंधन का दृश्य
सड़क और पाइप से जल अगले चुनाव के पहले तो हो ही जायेंगे। […] कुल मिला कर अगले चुनाव में इन सब के बल पर फ्रण्ट-फुट पर खेलेगी और सरकार का विरोध करता विपक्ष किसी को अपनी आलोचना से अपने पक्ष में नहीं कर पायेगा।
