अचानक एक मैना आयी। अकेली। उसने मधुर गाना सुनाया, अपनी चोंच उठा कर ऊपर ताकते हुये। कुछ इस प्रकार से कि नमकीन और रोटी के लिये धन्यवाद ज्ञापन कर रही हो। अकेली मैना कुछ समय गा कर चली गयी।
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आजम इदरीसी के बहाने बिसरी मध्यवर्गीय जिंदगी
गांवदेहात में रहते हुये मुझे बहुत खुशी तब होती है जब मुझे अपने जीवन की जरूरतें, वस्तुयें और सुविधायें लोकल तौर पर मिलने लगें। वे सब मेरी साइकिल चलाने की दूरी भर में उपलब्ध हों। उनके लिये मुझे वाहन ले कर शहर न जाना पड़े।
सड़क किनारे यूंही बैठ जाना
पैडल मारते मारते जब सही में थक गया तो एक पुलिया सी मिली। मुख्य नहर से निकली छोटी नाली सी थी, जिसपर पुलिया बनी थी। … साइकिल रोक कर वहीं बैठ गया। पैर सीधे करने के लिये।
