नदी में इफरात है मछली की और वह उनका भोज्य नहीं है। सीताराम मुझे अलग प्रकार के प्राणी लगे। बहुत कुछ मेरे अपने जैसे।
Category Archives: Vikrampur
यूं ही गुजरे दिन #गांवकाचिठ्ठा
आसपास देखें तो जो दुख, जो समस्यायें, जो जिंदगियां दिखती हैं, उनके सामने कोरोना विषाणु की भयावहता तो पिद्दी सी है। पर जैसा हल्ला है, जैसा माहौल है; उसके अनुसार तो कोरोना से विकराल और कुछ भी नहीं।
बहुत आशायें नहीं हैं किसी आमूलचूल परिवर्तन की #गांवकाचिठ्ठा
बहुत कुछ सम्भावनायें नहीं लगतीं कि कोरोना काल में वापस आये हुनरमंद लोगों का प्रयोग कर उत्तर प्रदेश चमक जायेगा। और अगर कोई चमत्कार हुआ तो वह इस प्रांत का सौभाग्य होगा। वैसे; इस प्रांत का सौभाग्य देखने की आशा में छ दशक गुजार दिये हैं मैंने।
