यह सतर्क रह कर सामान्य जीवन जीने का समय है #गांवकाचिठ्ठा


कोरोना को लेकर बहुत सी भ्रांतियां डाक्टरों ने, मीडिया ने और राजनेताओं/सेलीब्रिटीज ने फैलाई हैं। वे भ्रांतियां जितनी शहरों में हैं, उतनी गांवों में भी हैं।

गांव लौटे लोग बिना रोजगार ज्यादा बैठ नहीं पायेंगे #गांवकाचिठ्ठा


अगर उन्हें घर पर रहते हुये एक सम्मानजनक व्यवसाय मिल जाता है, जो प्रवास से भले ही कुछ कम आमदनी दे, तो वे सब यहीं रुक जायेंगे और यह समाज और उत्तर प्रदेश की बड़ी जीत होगी।

सुग्गी के मास्क #ग्रामचरित


मेहनती है सुग्गी। घर का काम करती है। खेती किसानी भी ज्यादातर वही देखती है। क्या बोना है, क्या खाद देना है, कटाई के लिये किस किस से सहायता लेनी है, खलिहान में कैसे कैसे काम सफराना है और आधा आधा कैसे बांटना है – यह सब सुग्गी तय करती है।

दसमा – अतीत भी, वर्तमान भी #ग्रामचरित


दसमा दोमंजिले मकान में साफसफाई के लिये नीचे-ऊपर सतत दौड़ती रहती थी। मेरी बड़ी मां को वह एक अच्छी सहायिका मिल गयी थी। लीक से हट कर काम कराने के लिये बड़ी मां उसे दो रुपया और ज्यादा गुड़ देती थीं।

अगियाबीर के रघुनाथ पांड़े जी


रघुनाथ पांड़े जी नब्बे से ऊपर के हैं। पर सभी इन्द्रियां, सभी फ़ेकल्टीज़ चाक चौबन्द। थोड़ा ऊंचा सुनते हैं पर फ़िर भी उनसे सम्प्रेषण में तकलीफ़ नहीं है। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि उन्हे अतीत या वर्तमान की मेमोरी में कोई लटपटाहट हो। जैसा उनका स्वास्थ है उन्हे सरलता से सौ पार करना चाहिये।सरल जीवन।Continue reading “अगियाबीर के रघुनाथ पांड़े जी”