सुमित पाण्डेय, फर्नीचर निर्माता


सुमित ने मुझे एक छोटी चौकी उपहार स्वरूप बना कर दी है। मेरे मन माफिक। उसका प्रयोग मैं बिस्तर पर बैठ लिखने-पढ़ने के लिये करता हूं।
व्यक्ति की जिस चीज में आसक्ति हो और कोई वह उपहार स्वरूप दे दे तो उस व्यक्ति को कभी भूलता नहीं वह।

बढ़ती उम्र में धर्म का आधार


सही मायने में वानप्रस्थ का अनुभव तो मैने किया ही नहीं। अभी भी राजसिक वृत्ति पीछा नहीं छोड़ती। लोगों, विचारों और परिस्थितियों की सतत तुलना करने और एक को बेहतर, दूसरे को निकृष्ट मानने-देखने की आदत जीवन से माधुर्य चूस लेती है।

कालभैरव के भगत जीतेंद्र


वे सज्जन बनारस में प्रधानमंत्री जी के आज भी होने की बात कर रहे थे। उनके अनुसार मोदी जब भी आते हैं, तीन दिन रुक जाते हैं। उनके चक्कर में शहर का कामधाम बंद हो जाता है। बाजार के सेठ भी कहते हैं कि बिक्री कम होती है।

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