हेमेन्द्र सक्सेना जी के संस्मरण – पुराने इलाहाबाद की यादें (भाग 4)


भारत के उज्वल भविष्य की हमारी आशायें किसी अनिश्चय या भय से कुन्द नहीं हुई थीं। हम यकीन करते थे कि आम आदमी की जिन्दगी आने वाले समय में बेहतर होने वाली है।