दूध एसोसियेशन आई, बाल्टा वाले गये

सवेरे साइकिल सैर के दौरान मुझे आठ दस बाल्टा वाले दिखते थे। घर घर जा कर दूध खरीदते, बेंचते। बचा दूध ले कर अपनी मोटर साइकिल में बाल्टे लटका कर बनारस दे आते थे। उनकी संख्या कम होती गयी। अब तो कोई दिखता ही नहीं। यह बड़ा परिवर्तन है।

ऐसा नहीं है कि दूध उत्पादन में कोई गिरावट आई है। गाय-गोरू अब भी वैसे ही हैं जैसे पहले थे। अब गांव में ‘अमूल दूध उत्पादक एसोसियेशन’ बन गयी है। महीना भर बने हुआ और करीब साठ लोग दूध ले कर आते हैं वहां मिल्क कलेक्शन सेण्टर पर देने के लिये। पिछले महीने भर में आठ हजार लीटर दूध अमूल ने गांव से उठाया। बाल्टा वाले के लिये काम ही नहीं बचा। एसोसियेशन फैट और एसएनएफ कण्टेण्ट के आधार पर दूध का दाम देती है। भैंस का दूध अब 65-70-90-100 रुपया प्रति लीटर बिकने लगा है। गाय का दूध भी उसी तरह काफी दाम देने लगा है। अब औने पौने भाव पर दूध बेचने की दरकार ही नहीं!

अमूल का मिल्क कलेक्शन सेण्टर। बीच में बैठे अनुज यादव।

घुमई यादव का लड़का अनुज कलेक्शन सेण्टर चलाता है। वह खुद भी एसोसियेशन का सदस्य है। दो ढ़ाई घण्टे सवेरे और उतना ही शाम को कलेक्शन होता है। अनुज मुझे दिखाता है कि दूध का सेम्पल कैसे दो मशीनों पर लगाता है और कैसे पास में रखा मॉनीटर उनका फैट तथा एसएनएफ बताता है। एक तौल प्लेटफार्म पर रखने पर मॉनीटर वजन और उसका दाम बता देता है। प्रिण्टर से रसीद निकलती है। जिसमें सदस्य का नाम, दूध की गुणवत्ता, मात्रा आदि दर्ज होते हैं। पखवाड़े में पैसा अनुज के खाते में आता है जिसे वह सदस्यों को उनके कुल दूध के दाम के अनुसार बांट देता है। बड़े सदस्यों के खाते में सीधे पैसा जाने का भी विकल्प है। बहुत सही सिस्टम और बहुत सही समाधान।

अनुज

इसी गांव में ही नहीं, मैं औराई साइकिल भ्रमण के लिये जाते समय एक और सेण्टर देखता हूं सड़क के किनारे। बनास डेयरी से सम्बद्ध मटियारी की दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति। वहां तो ज्यादा ही भीड़ लगती है। सौ दो सौ लोग आते होंगे उस सेण्टर पर। एक तख्ते पर बैठे इंतजार करते भी दीखते हैं। एक सज्जन – नवरतन सिंह अपना दूध दे कर वापस आये मिलते हैं। पास में दो किमी दूर उनका गांव है – चौरा। उनके पास पंद्रह बीघा खेती है और तेरह दुधारू गाय-भैंसों सहित अठाईस जानवर पालते हैं वे। दिन भर में ढाई हजार का दूध सेण्टर पर देते हैं। बहुत सुखी हैं नवरतन सिंह जी। उन्होने कहा – “मोदी-जोगी के चाहे कि अईसन अऊर सेण्टर खोलें। जेतना हयेन ओसे दो-चार गुना ज्यादा सेण्टर (मोदी-योगी को अब से दो चार गुना ज्यादा मिल्क कलेक्शन सेण्टर खोलने चाहियें।)”

यह केंद्र खुलने से जीवन में आनंद आ गया है – नवरतन सिंह बोलते हैं।

नवरतन सिंह

उत्तर प्रदेश के इस पूर्वांचल में, जहां आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है और किसानों की जोत बहुत कम है; वहां दूध उत्पादन में बढ़ोतरी उनके सार्थक रोजगार का एक सही मॉडल है। खेती पर कम, पशुपालन पर उत्तरोत्तर अधिक निर्भरता ही गांव की खुशहाली का सही उपाय है। यह मुझे सवेरे के साइकिल सैर में इन मिल्क कलेक्शन सेण्टर देख कर स्पष्ट होता है।

नवरतन सिंह जी सही कहते हैं। किसान की दशा में अगर क्रांतिकारी परिवर्तन करना है तो एक महत्वपूर्ण घटक अमूल-बनास के मिल्क कलेक्शन को एसोशियेशनों के माध्यम से ही होगा। बाल्टा वाले भले ही बेरोजगार हो जायेंगे, पर किसान खुशहाल होगा। मोदी-जोगी के सुनई के चाही नवरतन सिंह की बात। 🙂

मैं नवरतन सिंह जी और अनुज से भविष्य में मिलते रहने का मन बनाता हूं। नवरतन सिंह जी के पास तो मोबाइल फोन नहीं था। पर उन्होने कहा कि सेण्टर वाला उनके बारे में मुझे बता देगा। अनुज तो मेरे गांव का ही नौजवान है।

मटियारी का बनास डेयरी का मिल्क कलेक्शन सेण्टर

नवरतन सिंह जी ने बताया कि उनके गांव के लोग, भाई पट्टीदार उनके गाय गोरू पालने पर उन पर मजाक करते थे। उन्हें हमेशा सलाह देते थे कि वे इस सब झंझट से मुक्त हो जायें। पर अब जब वाजिब दाम मिलने लगे हैं, उनका मजाक बंद हो गया है। उनकी उम्र सत्तर पार कर रही है। गाय गोरू पालने से उसमें दिन भर जो लगना होता है, उससे शरीर भी स्वस्थ रहता है, वर्ना उनकी उम्र के लोग तो झूल गये हैं। … छरहरे बदन के नवरतन सिंह जी की सेहत, जो मुझसे बेहतर ही थी, से यह प्रत्यक्ष दीख भी रहा था। उन्होने भी कहा कि वे पूरी तरह ‘फिट्ट’ हैं। लगा कि मुझे भी आठ दस गायें पाल लेनी चाहियें।

पर, गाय पालन तो शायद जीडी के बस की बात नहीं। घूमना, देखना और हो रहे परिवर्तन के बारे में लिखना – यह काम तो किया ही जा सकता है। यह करने में भी शायद नवरतन सिंह जैसी सेहत पाई जा सकती है। तुम वही करो, जीडी! आखिर खेती किसानी, पशुपालन आदि मेहनत के काम तुम्हारे बस के हैं नहीं! तुम तो बस मोबाइल का क्लिक और लैपटॉप का कीबोर्ड संभालो! 😀


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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