वह टीका नहीं लगवाना चाहते


उनके जैसे बहुत से लोग जैसा चल रहा है चलने देना चाहते हैं। भले ही लस्टम पस्टम चले, पर लॉकडाउन न होने से नून-रोटी तो चल रही है। उनके जैसे बहुत से लोगों को कोरोना टीके को ले कर भ्रांतियां और पूर्वाग्रह हैं।

स्टेटस – कोरोना टीका के बाद बुखार


गांव में पांच सौ मीटर परिधि में जो दो कोरोना केस हैं, उसका कोई हल्ला नहीं है। पिछले साल तो कोई सामान्य बीमार भी होता था तो सनसनी फैल जाती थी। क्वारेण्टाइन करा दिये जाते थे लोग। बास बल्ली गड़ने लगती थी।

“यह टीका वीका सब ढकोसला है”


“लोग टीका लगवा कर सोच रहे हैं कि अमृतपान कर लिया। अब कुछ हो नहीं सकता उनको। पर किसी को नहीं मालुम कि टीका कितना प्रभावी है। कितनी एफीकेसी है। कितने समय तक उसका फायदा होगा।”

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