“यह टीका वीका सब ढकोसला है”


“लोग टीका लगवा कर सोच रहे हैं कि अमृतपान कर लिया। अब कुछ हो नहीं सकता उनको। पर किसी को नहीं मालुम कि टीका कितना प्रभावी है। कितनी एफीकेसी है। कितने समय तक उसका फायदा होगा।”

गोविंद लॉकडाउन में बम्बई से लौट तीन बीघा मेंं टमाटर उगा रहे हैं


वे लॉकडाउन के समय बंबई से अपने घर वापस लौटे थे। वहां ऑटो चलाते थे। यहां समझ नहीं आया कि क्या किया जाये। फिर यह सब्जी उगाने की सोची।

ट्रकों की रफ्तार थामने वालों को थामा जाये


सड़कें यातायात चलाने के लिये हैं। उन्हें रोक कर वसूली के लिये नहीं। जो वसूली करनी हो, वह लोडिंग/अनलोडिंग प्वाइण्ट पर होनी चाहिये। बीच में ट्रकों की रफ्तार थामने वालों को थामा जाना चाहिये।

मेरे समधी, रवींद्र कुमार पाण्डेय का कोरोना संक्रमण और उबरना


“यह तो कोरोना है, जिसकी न कोई दवा है न कोई पुख्ता इलाज। बस देख सँभल कर चलना रहना ही हो सकता है। जिस तरह के कामधाम मैं हम हैं वहां अकेले एकांत में तो रहा नहीं जा सकता। लोगों से सम्पर्क तो होगा ही। गतिविधि तो रहेगी ही। बस, बच बचा कर वह कर रहे हैं।”

स्वामी अड़गड़ानंद जी के आश्रम में


धीरे धीरे चल रही थी उनकी कार। रास्ते में आश्रम वासी हाथ जोड़ खड़े हो जाते थे और वाहन सामने से गुजरते समय दण्डवत प्रणाम करते थे।

राजधर – साइकिल पर सब्जी


दो महीना पहले तमिलनाडु से गांव लौटे थे राजधर। वहां कोयम्बटूर में किसी धागा बनाने वाली कम्पनी में कारीगर थे। अभी वापस जाने की नहीं सोची है। “कम से कम चार-पांच महीने तो यहीं रहना है।”