नई पौध के लिये नर्सरी तो जाना ही है! #गांवकाचिठ्ठा


नर्सरी जा कर कुछ मोगरे के पौधे तो लाने ही हैं। यूं, कोरोना काल में बाहर निकलने का खतरा तो है। … पर सावधानी से डर को किनारे करते चलना है।

Babu the knife sharpener


He is regular visitor. Comes to our home after a few months. He is Babu, from Babusarai – a village 3-4 kms away. People in villages usually get their agricultural implements sharpened from his bicycle fitted sharpener. In our case it’s usually the kitchen knives and few odd khurpis (खुरपी).

गोविंद पटेल ने लॉकडाउन में सीखा मछली पकड़ना #गांवकाचिठ्ठा


लॉकडाउन काल में, जब लोग आजीविका के व्यवधान के कारण दाल और तरकारी के मद में जबरदस्त कटौती कर रहे हैं; तब रोज चार घण्टा गंगा किनारे 2-4 किलो मछली पकड़ लेना बहुत सही स्ट्रेटेजी है लॉकडाउन की कठिनाई से पार पाने की।

यूं ही गुजरे दिन #गांवकाचिठ्ठा


आसपास देखें तो जो दुख, जो समस्यायें, जो जिंदगियां दिखती हैं, उनके सामने कोरोना विषाणु की भयावहता तो पिद्दी सी है। पर जैसा हल्ला है, जैसा माहौल है; उसके अनुसार तो कोरोना से विकराल और कुछ भी नहीं।

स्वैच्छिक लॉकडाउन या अपने पर ओढ़ा एकांतवास #गांवकाचिठ्ठा


पछुआ हवा है। लू बह रही है। वे भविष्यवक्ता जो कह रहे थे कि तापक्रम बढ़ते ही कोरोनावायरस अपने आप खतम हो जायेगा, अपनी खीस निपोर रहे हैं। ज्योतिषी लोग अपने अपने गोलपोस्ट बदल रहे हैं।

संक्रमण के बढ़ते मामले और व्यक्तिगत लॉकडाउन की जरूरत #गांवकाचिठ्ठा


संक्रमण ग्रस्त होना या न होना – एक पतली सी लाइन से विभक्त होता है। उसमें एक ओर बचाव है, रोचकता है, प्रयोग हैं और सोचने, पढ़ने, लिखने की सम्भावनायें हैं; दूसरी ओर संक्रमण है, रोग है, अस्पताल है, अकेलापन है, परित्यक्त होने का दारुण दुख है और (शायद) मृत्यु भी है।