युगांत – इरावती कर्वे – पुस्तक पर पॉडकास्टिकी


युगांत – एक युग का अंत; पुस्तक इतनी रोचक है कि हम पॉडकास्ट में नौसिखिये होने के बावजूद इस पुस्तक पर परिचयात्मक चर्चा से अपने को रोक नहीं पाये।

पॉडकास्टिकी और बदलती मनस्थिति


अपना खुद का पॉडकास्ट करने के लिये अपनी आवाज सुनने की मनस्थिति बन रही है। अपने उच्चारण में खामियाँ नजर आने लगी हैं। मोबाइल से या माइक से मुंह की कितनी दूरी होनी चाहिये, उसकी तमीज बन रही है।

बैठकी – धीरेंद्र दुबे जी से रिटायरमेण्ट @ 45 पर बातचीत


धीरेंद्र सामान्य मुद्दों पर भी मनन-मंथन कर कुछ नया नजरिया प्रस्तुत करने की विधा के माहिर हैं। इसीलिये मैंने सोचा कि रिटायरमेण्ट @ 45 वाले मुद्दे पर वे कुछ बेहतर बता सकेंगे, तभी यह विषय मैंने उनके समक्ष रखा।

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