रमेश कुमार जी के रिटायरमेण्ट अनुभव


रमेश कुमार जी मेरे अभिन्न मित्रों में से हैं। हम दोनों ने लगभग एक साथ नौकरी ज्वाइन की थी। दोनो केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण में असिस्टेण्ट डायरेक्टर थे। कुंवारे। दिल्ली के दूर दराज में एक एक कमरा ले कर रहते थे। घर में नूतन स्टोव पर कुछ बना लिया करते थे। दफ़्तर आने के लिये लम्बीContinue reading “रमेश कुमार जी के रिटायरमेण्ट अनुभव”

पिताजी और यादें


शाम को घर के बरामदे में कुर्सी डाल हम बैठे थे – पिताजी, पत्नीजी और मैं। बात होने लगी पिताजी के अतीत की। डिमेंशिया है पिता जी को। हाल ही की चीजें भूल जाते हैं। पुराना याद है। आवाज धीमी हो गयी है। कभी कभी शब्द नहीं तलाश पाते विचार के लिये। जब समझ नहींContinue reading “पिताजी और यादें”

कटका (गांव) के लिये ब्रॉडबैण्ड की तलाश


मेरा विचार कटका/विक्रमपुर (जिला भदोही) को साल-छ महीने में सोशल मीडिया में कुछ वैसा ही प्रोजेक्ट करने का है, जैसा मैने शिवकुटी के गंगा कछार को किया था। ग्रामीण जीवन में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है। उस बदलाव/विकास को दर्ज करना और जो कुछ विलुप्त होता जा रहा है, उसका आर्काइव बनाना एकContinue reading “कटका (गांव) के लिये ब्रॉडबैण्ड की तलाश”

Design a site like this with WordPress.com
Get started