दसमा – अतीत भी, वर्तमान भी #ग्रामचरित


दसमा दोमंजिले मकान में साफसफाई के लिये नीचे-ऊपर सतत दौड़ती रहती थी। मेरी बड़ी मां को वह एक अच्छी सहायिका मिल गयी थी। लीक से हट कर काम कराने के लिये बड़ी मां उसे दो रुपया और ज्यादा गुड़ देती थीं।

गांवदेहात में नजदीक आता कोरोनावायरस और बढ़ता तनाव


कोरोना फैलाव से तनाव बढ़ रहा है तो वह जातिगत सम्बंधों में दिखने लगा है। जाति समीकरण भंगुर प्रतीत होते हैं। मनरेगा में भी एक जाति वाले दूसरी जातियों से सोशल डिस्टेंस बना कर काम कर रहे हैं।

गांव में बाटी चोखा – और बाटी प्रकृति है


जया ने कहा – अब दम मारने की फ़ुर्सत मिली है। मौसम भी अच्छा है। गर्मी ज्यादा नहीं है। ऐसे में दाल-बाटी का इन्तजाम होना चाहिये। नहीं?

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