समय 21:00 बजे; दिनांक 2 सितम्बर 2021:
प्रेम सागर पाण्डेय जी का अनुमान है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन वाहन या ट्रेन द्वारा किये जाने के अनेक उदाहरण हैं, पर शायद निकट भूतकाल में पद यात्रा का नहीं है। महादेव की कृपा रही तो उनका यह संकल्प पूरा होगा। बारह में से एक ज्योतिर्लिंग – बाबा विश्वनाथ की पद यात्रा तो उन्होने सम्पन्न कर ही ली है, विधिवत।
प्रेम पाण्डेय जी से मेरी अचानक मुलाकात हो गयी थी। वे भादौं मास में कांवर ले कर वाराणसी जाते दिखे थे। अजूबा था मेरे लिये। कांवरिया श्रावण मास में चलते हैं। उनसे बात हुई और उनपर मैंने पोस्ट लिखी थी – प्रेम पाण्डेय, विलक्षण कांवरिया।
कल उनसे फोन पर बात हुई। आज वे वाराणसी से द्वादश ज्योतिर्लिंग पद यात्रा पर निकल लिये सवेरे तीन-चार बजे के बीच। मेरे पास उनका सात बजे फोन आया, तब वे मोहन सराय पास हो रहे थे। वहां से मेरे घर के पास तक आने में उन्हे 10-11 घण्टे लगे। उनके बारे में दिन भर मैं स्टेटस अपडेट ले रहा था। गर्मी और उमस में उनकी रफ्तार बहुत धीमी हो गयी थी। मैंने सुझाव दिया कि आठ-दस किलोमीटर मैं उन्हे कार में ले आता हूं; पर उनका आग्रह था कि यह पदयात्रा के अनुशासन के अनुकूल नहीं होगा। वे धीरे धीरे चलते हुये मेरे गांव तक आये। वहां से मैं उन्हे अपने घर पर ले कर आया।

शाम हो गयी है। इसलिये वे रात्रि विश्राम यहीं करेंगे। कल सवेरे जल्दी ही रवाना होंगे। यहां से मिर्जापुर/विंध्याचल के रास्ते रींवा-सतना-दमोह-उज्जैन-इंदौर जायेंगे। वहां नर्मदा का जल ले कर त्र्यम्बकेश्वर, महाकाल और ओँकारेश्वर के दर्शन करेंगे। आगे का कार्यक्रम वे बना रहे हैं। उनके हिसाब से यह द्वादश ज्योतिर्लिंग की पद यात्रा दो वर्ष में पूरी हो जानी चाहिये। इस दौरान वे यात्रा में ही रहेंगे। यात्रा ब्रेक कर फिर जहां से ब्रेक किया वहां से प्रारम्भ करने का अनुशासन नहीं है (अमृतलाल वेगड़ जी ने नर्मदा परिक्रमा इसी ब्रेक करने के आधार पर की थी)। यात्रा अनवरत जारी रहेगी, जब तक वह सम्पूर्ण नहीं होती; जब तक वे पुन: बाबा विश्वनाथ के यहां नहीं पंहुचते सभी ज्योतिर्लिंग दर्शन कर!
प्रेम पाण्डेय जी का अनुमान है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन किसी वाहन या ट्रेन द्वारा किये जाने के अनेक उदाहरण हैं, पर शायद निकट भूतकाल में पद यात्रा का उदाहरण नहीं है। महादेव की कृपा रही तो उनका यह संकल्प पूरा होगा। बारह में से एक ज्योतिर्लिंग – बाबा विश्वनाथ की पद यात्रा तो उन्होने सम्पन्न कर ही ली है, विधिवत।
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
उनके पैर बिना जूतों के हैं। एक कुरता-धोती पहने हैं। उसके अलावा, उन्होने बताया कि पास में तीन धोतियां हैं। एक थाली, कमण्डल और भोजन के लिये आपात व्यवस्था में सत्तू, चिवड़ा और चीनी है। बहुत ही फ्रूगल जिंदगी की तीर्थ-यायावरी! बताया कि वे डामर की सड़क की बजाय कच्चे रास्तों को बेहतर मानते हैं – वहां पैर जलते नहीं। यहां तो उमस है और गर्मी प्रचण्ड है; पर जैसे ही वे रींवा पार करेंगे; मौसम उनका साथ देगा। शीत काल में वे पश्चिमी-मध्य भारत की यात्रा कर लेंगे। जब तक अगली गर्मी आयेगी, तब तक वे हरिद्वार पार कर हिमालय की ओर निकल जायेंगे। … मोटे तौर पर उनके पास भारत की ऋतुओं और स्थानों की प्रकृति का लाभ पर्यटन में लेने की योजना की रूप रेखा है। वे अपेक्षा रखते हैं कि दो साल से कहीं कम समय में अपना पद यात्रा अनुशासन से द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन का कार्य पूरा कर लेंगे।

हम कुछ ही बातचीत कर पाते हैं। घर में आने पर मेरी पत्नीजी उन्हें मिठाई और जल देती हैं पीने के लिये। पहले वे मिठाई मेरे दो सहकर्मियों – अभिनंदन (वाहन चालक) और राजकुमार के साथ शेयर करते हैं, फिर खुद लेते हैं। उसके बाद चाय के साथ थोड़ी बातचीत होती है, तब राजकुमार उन्हें उनका कमरा दिखा आता है। कमरा ऊपरी मंजिल पर है। एक कमरा और अटैच्ड बाथरूम। उनका एक पिठ्ठू और एक स्लिंग थैला ऊपर पंहुचा देता है राजकुमार। आधे घण्टे में स्नान कर वे नीचे आ कर रात का भोजन करते हैं मेरे साथ। एक रोटी और चावल-दाल, सब्जी। “चावल खाये बहुत दिन हो गया, बाबा। इसलिये अच्छा लग रहा है। अन्यथा मेरे भोजन में दो रोटी भर होता है। कहीं होटल आदि में मैं चावल नहीं खाता।” – प्रेम कहते हैं।
भोजन के बाद उन्हें विश्राम और सोने के लिये भेज देती हैं मेरी पत्नीजी। थके शरीर को जितना आराम मिल सके, अच्छा है। कल सवेरे जल्दी उन्हे उठ कर अपनी यात्रा प्रारम्भ करनी है।
समय 5:45 सवेरे दिनांक 3 सितम्बर 2021:

सवेरे चार बजे उठ कर मैंने प्रेम जी के लिये चाय बनाई। उन्हें ऊपर उनके कक्ष में देने गया। वे नहा धो कर तैयार बैठे थे। उनके सामान में साबुन, तेल, कंघी, आईना आदि कुछ नहीं है। जल से नहा कर अपने बालों को हाथ से ही संवार लेते होंगे!
आधे घण्टे बाद जब मेरी पत्नीजी ने उनके लिये रोटी-भुजिया का पैकेट बना दिया तो उन्हें नीचे बुला कर वह पैकेट, कुछ चिवड़ा और घर के बाग के नींबू उनको दिये। उनका पिठ्ठू मैने साइकिल की आगे की टोकरी में रखा और हम पैदल हाईवे के लिये रवाना हुये।

भोर का प्रकाश हो गया था। चलने में कोई असुविधा नहीं थी। घर से हाईवे 800 मीटर की दूरी पर है। लेवल क्रॉसिंग तक मैं उनके साथ पैदल चला – लगभग आधा किलोमीटर। उसके बाद साइकिल चला कर। मैं यह कह सकता हूं कि उनकी द्वादश ज्योतिर्लिंग पदयात्रा में कुछ दूर उनके साथ चला हूं। सो सहयात्री हुआ मैं उनका! 😆

हाईवे के पास हम गले मिले। उन्हें विदा किया। यह तय रहा कि हम नियमित सम्पर्क में रहेंगे। उनका नोकिया का साढ़े चार इंच का स्मार्टफोन हमें जोड़ रखेगा। मैं जीवन में यायावरी नहीं कर पाया। पिलग्रिम-टूरिज्म तो बिल्कुल नहीं। मेरे व्यक्तित्व में कुछ ऐसा है, जो घनघोर सुविधाभोगी है। पर मेरे ब्लॉग पर शैलेश पाण्डेय की यायावरी/यात्रा की कुछ पोस्टें हैं। उनके माध्यम से मैंने ब्लॉग-यायावरी की है। अब प्रेम सागर पाण्डेय के माध्यम से भारत भर की यायावरी होगी! प्रेम जी को मैंने कहा कि अगर उनके नियमित अपडेट्स मिलते रहे तो सप्ताह में कम से कम एक ब्लॉग पोस्ट उनकी यात्रा पर लिखी जा सकेगी! 🙂

विदा ले कर; प्रेम सागर चलते हुये दूर तक मुझे मुड़ मुड़ कर देखते, कभी हाथ हिलाते रहे। एक सूत्र हममें जुड़ ही गया है। आत्मीयता का सूत्र। वे मेरे बेटे के उम्र के तो नहीं हैं; मेरे छोटे भाई के उम्र के जरूर हैं। सबसे छोटे भाई जितने।
प्रेम जी को शुभकामनायें। हर हर महादेव! उनकी जय हो!

सुधीर जी ने ट्वीट में उनकी सहायता की बात कही है – उनकी त्र्यम्बकेश्वर और सोमनाथ यात्रा में; यह बात मैंने प्रेमसागर जी को बता दी है। सुधीर जी का फोन नम्बर भी उन्हें दे दिया है –
Nicely penned. Thanks
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धन्यवाद, रुद्र जी!
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Welcome, Pande ji
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प्रेम पांडे जी की द्वादश ज्योतिर्लिंग की शिवयात्रा का वृत्तांत रोचक गाथा होने वाली है।
हर हर महादेव।
ॐ नमः शिवाय।
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मुझे भी आशा है ऐसी!
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मन आनन्द से भर गया। प्रेमपाण्डेयजी के मुख पर प्रसन्नता के भाव उनके उत्साह को व्यक्त कर रहे हैं। आगे की कड़ियों की प्रतीक्षा रहेगी।
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प्रेम पांड़े अभी मिर्जापुर के शास्त्री पुल के नीचे उमा नाथ महादेव मंदिर में सवेरे की यात्रा के बाद आराम कर रहे हैं.
अभी एक सज्जन ने बताया कि असली शिव भक्त हाफ मेण्टल ही होते हैं. महा जुनून वाले.
मेरे ख्याल से हम आप भी आधे नहीं तो चौथाई होंगे ही. 😁
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Sir apka atmiy bhav prasanshniy h .apka 4 oc tea lekar jana kitana sahaj bhav dikhta h Rly ke sahab ka yah rup kabile tarif h Ishwar apko swasth avam dirghayu de yahi prarthana h
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जय हो! आपके इस कोण से अपने को देखा ही नहीं मैंने! 🙏
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