प्रेमसागर – तारापुर से गलियाना, गुजरात में


रास्ते में लोग उनकी कांवर पदयात्रा देख कर सहायता करने में पीछे नहीं रहे। सवेरे चाय की दुकान पर चाय वाले सज्जन – सीताराम बाबा जी ने बुला कर चाय पिलाई और पैसे नहीं लिये। एक जगह कालू भाई और गिरीश भाई ने उन्हें रोक कर उन्हें चीकू और केले खिलाये। दोपहर में एक होटल में भोजन के लिये रुके और भोजन के बाद होटल वाले सज्जन ने भी इनसे पैसे नहीं लिये।

प्रेमसागर – यात्रा की प्रकृति बदल गयी है


अब तक तो प्रेमसागर की रिजर्व ऊर्जा काम आती रही है। उसके बल पर उन्होने वर्षा के विषम महीनों में भी लम्बी लम्बी यात्रायें की। अब उन्हें शरीर की मांग के आधार पर चलना चाहिये।

गंगा आरती @ गौगंगागौरीशंकर


पास में ही शमी का वह वृक्ष है, जिसे कल मेरी पत्नीजी और मैंने अपने घर से लाये दियों को सजाने के लिये चुना था। शमी में एक कोटर है। उसमें आरपार दिखता है। उस कोटर में भी एक दिया रखा था। आज सवेरे देखा तो सभी दिये वहां जस के तस थे।

Design a site like this with WordPress.com
Get started