“टट्टू पर भारत दर्शन” – क्या शानदार किताब बनेगी अगर उसपर यात्रा की जाये! एक सहयात्री, दो टट्टू और एक फोल्डिंग टेण्ट ले कर निकला जाये। एक दिन में तीस किलोमीटर के आसपास चलते हुये साल भर में भ्रमण सम्पन्न किया जाये! :-)
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बाबा मिल गये उर्फ नागाबाबा जीवन गिरि
लगता है जूना अखाड़ा थोक में साधुओं को सधुक्कड़ी का डिप्लोमा देता है और बाद में उन सबको इधर उधर छोटे-बड़े मंदिरों में खाने कमाने की फ्रेंचाइज भी प्रदान करता है।
बीमारी के बाद सुंदर
बाल काटने के बाद वह मेरी पत्नीजी को बुलाता है और सही काटने का अप्रूवल वही देती हैं। उसके बाद वह मेरी कनपटी के बेतरतीब उगे बाल काट कर चम्पी-अनुष्ठान करता है – यद्यपि उसके हाथों में बहुत जोर नहीं है।
