आजम इदरीसी के बहाने बिसरी मध्यवर्गीय जिंदगी


गांवदेहात में रहते हुये मुझे बहुत खुशी तब होती है जब मुझे अपने जीवन की जरूरतें, वस्तुयें और सुविधायें लोकल तौर पर मिलने लगें। वे सब मेरी साइकिल चलाने की दूरी भर में उपलब्ध हों। उनके लिये मुझे वाहन ले कर शहर न जाना पड़े।

सड़क किनारे यूंही बैठ जाना


पैडल मारते मारते जब सही में थक गया तो एक पुलिया सी मिली। मुख्य नहर से निकली छोटी नाली सी थी, जिसपर पुलिया बनी थी। … साइकिल रोक कर वहीं बैठ गया। पैर सीधे करने के लिये।

गिरीश ने कहा – संघ के सामाजिक लपेटक तलाशेंगे मेरे लिये


संघ के लोगों, प्रचारकों की जैसी बात गिरीश ने की, उससे लगा कि उस प्रकार के लोगों से नियमित सम्पर्क मेरे “दीर्घ जीवन की साधना” के प्रॉजेक्ट के कमजोर सामाजिक पक्ष का सुधार सकता है; जिसकी बात ब्ल्यू जोंस के डॉन बटनर जी वाली क्विज करती है।

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