रीपोस्ट – कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव


सबसे पहले सात सुन्दर वड़ियां खोंटी जाती थीं। यह काम घर की बड़ी स्त्री करती थी। उन सात वड़ियों को सिन्दूर से सजाया जाता था।
अर्थ यह था कि जितनी सुन्दर कोंहड़ौरी है, वैसी ही सुन्दर सुशील बहू घर में आये।

गाई क ल, भैंसिया से बुद्धी मोटि होई जाये!


देश की डेयरियां और लोग भैंस के दूध की बदौलत चल रहे हैं। अमूल – जो विश्व के बीस सबसे बड़ी डेयरियों में है; भैंस के दूध के बल पर है। अगर भैंस का दूध बुद्धि कुंद करता है तो अमूल को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिये।

गंगा से कोसी – 2


“आस्था है भईया लोगों में। गाय-भैंस ब्याने पर पहला दूध गंगा माई को चढ़ाने ले जाते हैं। कुछ लोग तो बाबाधाम जा कर बैजनाथ जी को चढ़ाते हैं। इनकी बड़ी मानता है। लोग उन्ही से मनौती मानते हैं। उन्हीं की किरपा मानते हैं।”

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