कटिया फंसाने को सामाजिक स्वीकृति है यहां


मिसिराइन (कल्पित नाम; फिर भी सभी मिसिर-मिसिराइन जी से क्षमा याचना सहित) हफ्ते भर से फड़फड़ी खा रही थीं. बिजली वाले से किसी बात पर तनी तना हो गयी थी और वह इलेक्ट्रानिक मीटर लगा गया था. मीटर फर्र-फर्र चल रहा था और मिसिराइन का दिल डूबा जा रहा था. वो जिस-तिस से समस्या काContinue reading “कटिया फंसाने को सामाजिक स्वीकृति है यहां”

ये अखबार की कतरनें क्यों बटोरते हैं लोग?


अखबार में हिन्दी ब्लागिंग के बारे में छप जाये तो सनसनी छा जाती है. नोटपैड एक दिन पहले बताता है कि कल कुछ छ्पने वाला है. अपनी प्रति सुरक्षित करा लें. एक और जगह से विलाप आता है कि अरे हमारे यहां तो फलां पेपर आता नहीं – भैया, स्कैन कर एक पोस्ट छाप देना.Continue reading “ये अखबार की कतरनें क्यों बटोरते हैं लोग?”

क्या चुनाव आयोग नव शृजन कर रहा है?


उत्तर प्रदेश में पहले दो चरणों में वोट प्रतिशत गिरा है. यह माना जा रहा है कि यह जनता की उदासीनता के कारण नहीं, बूथ कैप्चरिंग फैक्टर डिस्काउंट करने के कारण है. अगर यह स्वयम-तथ्य (Axiom) सही मान लिया जाये तो जो प्रमेय सिद्ध होता है वह है कि नव शृजन हो रहा है. बिहारContinue reading “क्या चुनाव आयोग नव शृजन कर रहा है?”

विकलांगों को उचित स्थान दें समाज में


भारतीय समाज विकलांगों के प्रति निर्दय है. लंगड़ा, बहरा, अन्धा, पगला, एंचाताना – ये सभी शब्द व्यक्ति की स्थिति कम उसके प्रति उपेक्षा ज्यादा दर्शाते हैं. इसलिये अगर हमारे घर में कोई विकलांग है तो हम उसे समाज की नजरों से बचा कर रखना चाहते हैं – कौन उपेक्षा झेले.. या यह सोचते हैं किContinue reading “विकलांगों को उचित स्थान दें समाज में”

कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव


जीवन एक उत्सव है. जीवन में छोटे से छोटा अनुष्ठान इस प्रकार से किया जाए कि उसमें रस आये – यह हमारे समाज की जीवन शैली रही है. इसका उदाहरण मुझे मेरी मां द्वारा वड़ी बनाने की क्रिया में मिला। मैने अपनी मां को कहा कि वो गर्मी के मौसम में, जब सब्जियों की आमदContinue reading “कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव”

नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद


मैंने अपने जीवन का बहुमूल्य भाग नर्मदा के सानिध्य में व्यतीत किया है। रतलाम मे रहते हुये ओँकारेश्वर रोड स्टेशन से अनेक बार गुजरा हूँ। पर्वों पर ओंकारेश्वर के लिए विशेष रेल गाडियां चलाना और ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर सुविधाएं देखना मेरे कार्य क्षेत्र में आता था। नर्मदा की पतली धारा और वर्षा में उफनतीContinue reading “नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद”