बलराम और संदीप कर्मचारी जैसा व्यवहार करते हैं पर सोनू, तीसरी दर्जा पास, छटपट (स्मार्ट) है। वह निर्णय लेने का ‘जोखिम’ उठाता है। मुझसे मेरे बारे में, मेरे खींचे चित्रों के बारे में, मेरे लिखने के बारे में सवाल करता है।
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रामनवमी – सीता जी क्या बनाती रही होंगी राम जी के बर्थडे पर?
चौदह साल का वनवास। तेरह रामनवमियाँ तो ठीकठाक बिताई होंगी राम-सीता ने वन में। यूं तो यूपोरियन आदमी जन्मदिन टाइप चोंचले में ज्यादा यकीन नहीं करता, पर सीताजी राम जी के जन्मदिन पर कुछ तो विशेष बनाती ही रही होंगी?
गाय, सुनील ओझा और गड़ौली धाम
दीर्घजीवन की सेंच्यूरी मारने की इच्छा शायद मेरे शहरी जीवन त्याग कर इस ग्रामीण अंचल में बसने के निर्णय के मूल में है। हो सकता यही चाह सुनील जी को गड़ौली धाम लाई हो। जो हो; इस शतकीय सोच की एक एक गेंद खेलना और लिखना है!
