इस जगत के सुख दुख यहीं भोगने हैं


“यह नहीं हो सकता। इस जगत के जो सुख दुख हैं, वे हमें भोगने ही हैं। निर्लिप्त भाव से उन्हें इसी जगत में ही भोग कर खत्म कर दिया जाये, यही उत्तम है। अन्यथा वे अगले जन्म में आपका पीछा करेंगे। उन्हें आपको भोगना तो है ही।”

महुआ टपकने लगा है और अन्य बातें


बहेड़ा के फल गिरते महीना से ऊपर हो गया। अब महुआ भी टपकने लगा है। चार पांच दिन हो गये, आसपस टपक रहा है महुआरी में। बच्चे एक एक पन्नी (पॉलीथीन की थैली) में महुआ के फूल बीनने लगे हैं। जुनून सा दिखता है उनमें महुआ बीनने का।

राजबली के साथ कुछ समय – बसुला और कलम का मेल


मुझे उनका काम स्वप्निल लगता है और उन्हे मेरी साहबी। हम दोनो जानते हैं कि एक दूसरे से केवल बोल बतिया ही सकते हैं। आपस में मिलने का आनंद ले सकते हैं। न वे मेरा काम कर सकते हैं न मैं उनका।

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