देखा कि गांव की सड़कें जो योगी सरकार ने आते ही ठीक करवाई थीं, अब साढ़े चार साल में उधड़ गयी हैं। उनपर सवार हो कर वोट नहीं खींचे जा सकते। सो बारिश का मौसम बीतते ही वोट-खींचक यज्ञ (या मतदाता वशीकरण यज्ञ) प्रारम्भ कर दिया गया है। सड़क किनारे अलकतरा के ड्रम सीधे खड़े कर उन्हें गरम किया जा रहा है।
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बड़वाह
प्रेमसागर के पैरों में चक्र है। सो अनवाइण्डिंग के दौरान भी बड़वाह के कई दर्शनीय स्थानों को देख आये। नर्मदा किनारे बसा बड़वाह एक नगरपालिका है, गांव नहीं। उसके आसपास चोरल और एक दो अन्य नदियां नक्शे में दिखती हैं। कई पौराणिक स्थल हैं इस नगरपालिका सीमा में और आसपास। कई चित्र प्रेमसागर ने बड़वाह भ्रमण के मेरे पास भेजे हैं।
ॐकारेश्वर जल अर्पण और बड़वाह
यहां ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण के साथ प्रेमसागर ने आंकड़े में 25 प्रतिशत यात्रा-ध्येय सम्पन्न कर लिया है। बारह में से तीन ज्योतिर्लिंग उन्होने पदयात्रा में देख लिये हैं। प्रिय-अप्रिय (लगभग प्रिय ही) अनुभव उन्हें हुये हैं।
