लोग हैं जो इस पोस्ट के शीर्षक में ही दो शब्दों के प्रयोग में फिजूलखर्ची तलाश लेंगे। पर वह जर्जर है यानी वह मरा नहीं है। मूर्त रूप में भी अंशत: जिन्दा है और मन में तो वह मेरा बचपन समेटे है। बचपन कैसे मर सकता है?[1] पर यह ख्याली पुलाव है कि वह जिन्दाContinue reading “जर्जर खण्डहर”
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मुरारी केटरिंग
मुरारी की दुकान है चाय-ब्रेड पकौड़ा, समोसा, मिठाई आदि की। मुहल्ले में बहुत चलती है। दुकान के ऊपर हाल ही में एक हॉल बनवा लिया है। उसमे कोई गणित के सर कोचिंग क्लास चलाने लगे हैं। इसके अलावा लगन के मौसम में मुरारी आउटडोर केटरिंग सर्विस भी देता है। मेरे आकलन से मुरारी मुझसे ज्यादाContinue reading “मुरारी केटरिंग”
“तुम्हारा ब्लॉग पढ़ने का कारण”
श्रीयुत श्रीप्रकाश मेरे ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। जब वे (सन 2009 में) हमारे सदस्य यातायात (रेलवे के यातायात सेवा के शीर्षस्थ अधिकारी) हुआ करते थे, तब से वे लोगों को मेरे ब्लॉग के बारे में बताते रहे हैं। उस समय वे सक्रिय रूप से भारतीय रेलवे यातायात सेवा की साइट पर अधिकारियों को सम्बोधितContinue reading ““तुम्हारा ब्लॉग पढ़ने का कारण””
