उनतीस अगस्त। शाम चार बजे। श्री कृष्ण कुमार अटल, महाप्रबन्धक, पूर्वोत्तर रेलवे की रिटायरमेण्ट के पहले अपने विभागाध्यक्षों के साथ अंतिम बैठक। एक प्रकार से वाइण्डिंग-अप। मैं उस बैठक में विभागाध्यक्ष होने के नाते उपस्थित था। चूंकि उस बैठक में हमें श्री अटल से जाते जाते उनकी 37 वर्ष की रेल सेवा पर उनके विचारContinue reading “कृष्ण कुमार अटल”
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टमटम पर प्रचारक
वह अपनी टमटम पर आया था कतरास से। पूरे चुनाव के दौरान सांसद महोदय (श्री रवीन्द्र पाण्डेय) का प्रचार किया था उसने लगभग दो हफ्ते। नाम है विद्यासागर चौहान। विकलांग है। पैर नहीं हैं। किसी तरह से टमटम पर बैठता है। उसकी आवाज में दम है और जोश भी। दम और जोश प्रचार के लियेContinue reading “टमटम पर प्रचारक”
जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!
जात हई, कछार। जात हई गंगामाई। जा रहा हूं कछार। जा रहा हूं गंगामाई! आज स्थानान्तरण पर जाने के पहले अन्तिम दिन था सवेरे गंगा किनारे जाने का। रात में निकलूंगा चौरी चौरा एक्स्प्रेस से गोरखपुर के लिये। अकेला ही सैर पर गया था – पत्नीजी घर के काम में व्यस्त थीं। कछार वैसे हीContinue reading “जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!”
