शैलेन्द्र का परिवार बनारस में रहता है और वह गांव में। चार भाइयों में दूसरे नम्बर पर है वह। चार भाई और एक बहन। बहन – रीता पाण्डेय, सबसे बड़ी है और मेरी पत्नी है। मैं रेल सेवा से रिटायर होने के बाद गांव में रहने जा रहा हूं – शैलेन्द्र के डेरा के बगलContinue reading “गांव में शैलेन्द्र दुबे के साथ”
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कउड़ा
आज तीसरा दिन था, घाम नहीं निकला। शुक्रवार को पूरे दिन कोहरा छाया रहा। शीत। शनीचर के दिन कोहरा तो नहीं था, पर हवा चल रही थी और पल पल में दिशा बदल रही थी। स्नान मुल्तवी कर दिया एक दिन और फ़ेसबुक पर लिखा – और भी गम हैं जमाने में नहाने के सिवा।Continue reading “कउड़ा”
कोहरा और भय
सौन्दर्य और भय एक साथ हों तो दीर्घ काल तक याद रहते हैँ। सामने एक चीता आ जाये – आपकी आंखों में देखता, या एक चमकदार काली त्वचा वाला फन उठाये नाग; तो सौन्दर्य तथा मृत्यु को स्मरण कराने वाला भय; एक साथ आते हैं। वह क्षण आप जीवन पर्यन्त नहीं भूल सकते। घने कोहरेContinue reading “कोहरा और भय”
