टुन्नू पण्डित के साथ सवेरे की चाय


तरह तरह की बात हुई। उन्होने बताया कि गंगाजी के पांच किलोमीटर दोनो ओर का कॉरीडोर ऑर्गेनिक खेती के लिये डिल्केयर होने की सम्भावना है। वह अगर होता है तो मृदा की सेहत और खेती के पैटर्न के लिये बहुत कुछ सरकारी इनपुट्स मिलेंगे।

धूप खिली है और लॉन में जगह जमा ली है!


पत्नीजी ने कमरे में लैपटॉप, बिस्तर और रज़ाई के कंफर्ट जोन से भगा दिया है। बताया है कि आज अलाव की भी जरूरत नहीं। आज लॉन में कुर्सियां लगा दी हैं। धूप अच्छी है। आसमान साफ है। वहीं बैठो। कमरा बुहारने दो! और सच में आज लॉन शानदार लग रहा है। कार्पेट घास का आनंदContinue reading “धूप खिली है और लॉन में जगह जमा ली है!”

तेंदुआकलाँ का बनवासी सनी


पहली बार मुझे पता चला कि पलाश या छिउल की जड़ों के रेशे की रस्सी भी बनती है। मजबूत रस्सी। पलाश का हर अंग उपयोगी है। इसके दण्ड को ले कर ही बटुक का यज्ञोपवीत होता है। इसके पत्ते, फूल, फल, छाला – सब का ग्रामीण और वनवासी प्रयोग करते हैं।

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