गांव में रहने के कुछ स्वाभाविक नुकसान हैं; पर यहां सीखने को शहर के बच्चे से कम नहीं है। शायद वह जो सीख पाये; वह शहरी बच्चे कभी अनुभव न कर सकें। वह भाषा, मैंनरिज्म और आत्मविश्वास में उन्नीस न पड़े; बाकी सब तो उसके पास जो है, वह बहुत कम को मिलता होगा अनुभव के लिये!
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राजकुमार साहनी की नाव #गांवकाचिठ्ठा #गांवकेचरित्र
राजकुमार की उम्र तैतीस साल की है। देखने में वे उससे भी कम उम्र के लगते हैं। उनका कहना है कि अपने शरीर की सुनते हैं। किसी दिन खूब मेहनत करने का मन होता है तो करते हैं। किसी दिन आराम करने का मन हुआ तो वह कर लेते हैं।
उमाशंकर, डबल रोटी वाले
भाजपा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बार बार दर्शाया उमाशंकर ने। लेकिन साथ में यह भी कहा कि पार्टी कार्यकर्ता को अहमियत नहीं देती।
