रघुनाथ पांड़े जी का मृत्यु-पुराण


रघुनाथ पांड़े कहते हैं – मर जाने पर पूरा इत्मीनान कर लेना। डाक्टर से भी पूछ लेना। कहीं ऐसा न हो कि जान बची रहे। एक चिनगारी छू जाने पर कितना दर्द होता है। पूरी देह आग में जाने पर तो बहुत दर्द होगा। … न हो तो बिजली वाले फ़ूंकने की जगह ले जाना।

सीएसआर और गांव में लगी बेंचें


छोटे बदलाव, उनके Nudge Effects बहुत महत्वपूर्ण हैं सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए। आज छह बेंचें लगी हैं। इनकी संख्या बढ़ कर 30 – 40 हो जानी चाहिए।

दोपहर में द्वरिकापुर में गंगा किनारे


सवेरे निकलता हूं घूमने। गंगा तट पर जाना होता है तो उसी समय। अब सर्दी बढ़ गयी थी। सवेरे की बजाय सोचा दिन निकलने पर निकला जाये। बटोही (साइकिल) ने भी हामी भरी। राजन भाई भी साथ निकले पर वे अगियाबीर के टीले पर निकल गये; वहां प्राचीन सभ्यता के गहने-सेमीप्रेशस स्टोन्स के अनगढ़ टुकड़ोंContinue reading “दोपहर में द्वरिकापुर में गंगा किनारे”

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