मैं ब्रेन-इन्जरी के एक भीषण मामले का सीधा गवाह रहा हूं. मेरा परिवार उस दुर्घटना की त्रासदी सन २००० से झेलता आ रहा है.
मैं जिस दुर्घटना की बात कर रहा हूं, उसमें मेरा बेटा दुर्घटना ग्रस्त था. फरवरी १९’२००० में पंजाब मेल के ६ कोच भुसावल के पास भस्म हो गये थे. एस-८ कोच, जो सबसे पहले जला, और जिसमें मर्चेन्ट नेवी का कोर्स कर रहा मेरा लड़का यात्रा कर रहा था; में १८ यात्री जल मरे. घायलों में सबसे गम्भीर मेरा लड़का था. सौ किलोमीटर प्र.घ. की रफ्तार से दौड़ रही गाडी़ में वह घुटन और जलने से बचने के लिये कोच के दरवाजे तक आया होगा. फिर या तो पीछे की भीड़ के धक्के से, या जान बचाने को वह नीचे गिरा. जब उसे ढूंढा़ गया तब उसके सिर में गम्भीर चोटें थीं और बदन कई जगह से जला हुआ था. वह कोमा में था. कोमा में वह बेहोशी ३ महीना चली. उसके बाद भी ब्रेन इंजरी के लम्बे
फिजियोथेरेपिकल/न्यूरो-साइकोलॉजिकल/ सर्जिकल इलाज चले. जो अनुभव हुए वे तो एक पुस्तक बना सकते हैं.
मेरा लड़का अभी भी सामान्य नहीं है. इस दुर्घटना ने हमारी जीवन धारा ही बदल दी है…
दुर्घटना के करीब साल भर बाद मैने उसे कंप्यूटर पर चित्र बनाने को लगाया – जिससे दिमाग में कुछ सुधार हो सके. बहुत फर्क तो नहीं पडा़, पर उसके कुछ चित्र आपके सामने हैं.
बहुत समय से मस्तिष्क की चोटों के मामलों पर इन्टर्नेट पर सामग्री उपलब्ध कराने का विचार मेरे मन में है. सिर में चोट लगने को भारत में वह गंभीरता नहीं दी जाती जो दी जानी चाहिये. कई मामलों में तो इसे पागलपन और ओझाई का मामला भी मान लिया जाता है. चिकित्सा क्षेत्र में भी सही सलाह नहीं मिलती. निमहन्स (National Institute of Mental Health and Neurosciences, Bangalore) में एक केस में तो मैने पाया था कि बिहार के एक सज्जन बहुत समय तक तो आंख का इलाज करा रहे थे और नेत्र-चिकित्सक ने यह सलाह ही नहीं दी कि मामला ब्रेन इन्जरी का हो सकता है. जब वे निमहन्स पंहुचे थे तो केस काफी बिगड़ चुका था…
मैं ब्रेन-इन्जरी के विषय में जानकारी और लोगों के अनुभवों को हिन्दी में इन्टर्नेट पर लाना चाहता हूं. वेब साइट बनाने की मेरी जानकारी शून्य है. जो मैं दे सकता हूं – वह है अपने दैनिक जीवन में से निकाल कर कुछ समय और वेब साइट के लिये सीड-मनी.
क्या आप भागीदारी करेंगे?
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pranam.
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उस दिन आपके लिन्क देने पर काम मेँ व्यस्त रहते ये आलेख अभी तक न देखा न पढा था :-(- आज और इसी समय पढा और सौ. रीटा भाभीजी और आपके प्रति अपार श्रध्धा व आदर उमड आया है -अब कैसा है बेटा ? उसे मेरा बहुत सारा आशीर्वाद और प्यार देना और अगर यहाँसे कोई काम या शोध मैँ कर पाऊँ तो निसँकोच आदेश दीजियेगा. अभी इतना ही ..- लावण्या
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ज्ञानजी, आज ये पोस्ट पढ़ी और आपके बेटे के बारे में पता चला, सुनकर बहुत दुःख हुआ। आज संवेदना व्यक्त कर रहा हूँ, हालांकि मैं जानता हूँ कि ये आपके लिये मायने नही रखती। आपका जैसा जज्बा काश सभी को मिले, वेबसाईट बनाने में जैसी भी मदद हो कहियेगा, वैसे आपने बता तो दिया ही है कि विकि बनाया है।
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बेटे के साथ दुर्घटना की बात से मन विचलित हो पड़ा। आपले बेटे के लिए अब तक कुछ भी उठा न रखा होगा। पर मेरे भाई के दोस्त लखनऊ केजीएमसी में ब्रेन के डॉक्टर हैं । मैं उनसे बात करूँगी। आप भी उनसे बात करें। उनका नाम है डॉ. रघुवीर श्रीवास्तव। और नंबर है- 09839014108।बेटा अच्छा हो जाएगा । आप धीरज रखें..।
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मैं कुछ कहने की हालत में नहीं हूँ….पर आपके साथ हूँ….बेटा ठीक हो यह प्रार्थना कर रहा हूँ। आप हिम्मत रखें और क्या कह सकता हूँ।
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आज पहली बार जाना. न जाने जब आपने पोस्ट किया होगा तो कैसे चूका.मै दुख या संवेदना प्रकट नहीं करना चाहता. मुझे मालूम है यह आप जैसे व्यक्ति पसंद भी नहीं करेंगे इस मोड़ पर. बस आपको और आपके जज्बे को सलाम करने का मन है.आपसे बहुत कुछ सीखना है. मेरा सलाम स्विकारें.जिन्दगी जियो तो ऐसे जियो…चुनौती शर्मसार हो जाये.बहुत खूब, भाई साहब.
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जब आपने ये पोस्ट लिखी थी तब इसे नहीं पढ़ पाया था ..आज पढ़ा .. केवल संवेदनाऎं किसी दुख को कम नहीं कर सकती…मेरा पूरा सहयोग आपके साथ रहेगा…आप मुझे इस विषय़ पर मेल करें या बताऎं क्या करना है…मैं तैयार हूँ…
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मेरी तरफ से भी हर सम्भव सहयोग रहेगा।
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धन्यवाद प्रिय भाइयों, मैने अपेक्षा नहीं की थी कि इतनी सहानुभूति युक्त और सहयोगात्मक प्रतिक्रियायें मिलेंगी. मैने http://socialtext.net पर विकी बनाने का प्रथम कदम उठा लिया है. मुझे कुछ समय अपनी सोच मार्शल करने और “विकी क्या है?” समझने में लगेगा. फिर मैं ईमेल और/या इस चिठ्ठे के माध्यम से आपसे संपर्क करूगा.मैं आप सब को पुन: हृदय से धन्यवाद देता हूं.
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