धन पर श्री अरविन्द


भारतीय मनीषियों व दार्शनिकों ने धन पर बहुत सकारात्मक नहीं लिखा है. ‘माया महा ठगिनी’ है – यही अवधारणा प्रधान रही है. धन को साधना में अवरोध माना गया है. स्वामी विवेकानन्द ने तो अपने गुरु के साथ उनके बिस्तर के नीचे पैसे रख कर उनके रिस्पांस की परीक्षा ली थी. धन के दैवीय होनेContinue reading “धन पर श्री अरविन्द”

मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा!


टाटा की लखटकिया कार आयेगी तो मोटर साइकल वाले अपग्रेड हो कर सड़कें पाट देंगे. सडकें जब गलियों में तब्दील हो जायेंगी (जैसे कि अब नहीं हैं क्या?) तब पतली गली से निकलने को साइकल ही उपयुक्त होगी. अत: मेरा लेटेस्ट चिंतन है कि मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा. इस बारे में मैने फाइनांस मिनिस्टरीContinue reading “मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा!”

टेक एनदर वन ऑन नंदीग्राम


नन्दीग्राम का मसला राजनैतिक रूप से क्या शक्ल लेगा – इसपर अदिती फड़नीस ने बढ़िया कयास लगाया है आज के बिजनेस स्टेण्डर्ड में. मैं उसका अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूं: “………. सीपीएम बलि का बकरा ढूढ़ रही है. मजे की बात है कि यह बलि का बकरा काँग्रेस मुहय्या करायेगी. सीबीआई की नन्दीग्राम मामले परContinue reading “टेक एनदर वन ऑन नंदीग्राम”

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