यह रीता पाण्डेय की आज की अतिथि पोस्ट है।
लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है। बीस अप्रेल के बाद बाजार कुछ खुलने की उत्सुकता सभी के चेहरे पर दिखती है। कल स्वास्थ मंत्रालय के सचिव का टीवी पर यह बयान कि संक्रमण में 40 प्रतिशत की कमी आयी है; सभी में उत्साह का संचार कर गया है। अब लोगों के मिलने जुलने पर आगे की रणनीति, अर्थव्यवस्था की आगे की गति आदि पर चर्चा होने लगी है। आगे लोगों के व्यवहार, सामाजिक संरचना आदि में कैसा परिवर्तन आयेगा, इसपर भी मंथन शुरू हो गया है।

अर्थव्यवस्था पर संकट तो वैश्विक है और यही सही समय है रणनीति बनाने का। बड़ी बड़ी कम्पनियां कितनी रहेंगी और कितनी डायनासोर हो जायेंगी, पता नहीं। पर लघु उद्योगों पर निर्भरता कम नहीं होगी। समय की मांग यही है कि उद्योगों का (भौगोलिक) विकेंद्रीकरण किया जाये। छोटे और मंझले उद्योगों को महानगरों से दूर ले जाया जाये।
अस्पतालों और स्वास्थ्य उपकरणों की जितनी आवश्यकता इस समय महसूस की गयी, उतना पहले नहीं हुई होगी। अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य सेवाओं हिस्सेदारी बढ़नी चाहिये और होगी भी।
स्कूलों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। इस सोच से मेरे जैसे गांवदेहात में रहने वाले, जो अपने बच्चों की पढ़ाई के स्तर को ले कर हमेशा चिंतित रहते हैं; राहत मिलती है। उम्मीद करती हूं कि यह ऑनलाइन व्यवस्था आगे तेज गति से बढ़ेगी। ऑनलाइन पढ़ाई गरीब-अमीर-शहर-देहात के दायरे तोड़ने में क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगी।

पोस्ट के इतर जानकारी –

रीता पाण्डेय ने अपनी पोती पद्मजा की पढ़ाई के ऑनलाइन इनपुट्स पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होने बायजू – Byju का पहली से तीसरी कक्षा का पैकेज खरीद लिया है। गांव में रहते हुये भी अंग्रेजी और गणित में पद्मजा को विश्वस्तरीय शिक्षण का लाभ मिल जा रहा है।
इस साल कोरोना लॉकडाउन के पहले ही मार्च में यह निर्णय किया। अब लगता है वह निर्णय सही था।
भविष्य की कितनी कल्पनायें मन में जगती हैं? तेल के भण्डार पर बैठे देश जो बात-बेबात आंखें तरेरते रहते हैं; उनका क्या होगा? पाकिस्तान, जो संसाधन विहीन है, पर फिर भी आतंक का निर्यात करता है; उसका क्या होगा? अमेरिका जो कोरोना से जूझने में हाँफ रहा है और अपना वर्चस्व हाथ से जाता देख रहा है, वह क्या पुन: शक्तिशाली बन सकेगा? लोग करते हैं यह सदी भारत की है; तो क्या हम मोदी जी के नेतृत्व में श्रेष्ठ भारत का निर्माण कर पायेंगे? अभी तक प्रधानमंत्रीजी ने कोई राजनैतिक चूक नहीं की है। सरकारी मशीनरी और भारत की जनता उनके पीछे खड़ी है। … मुझे तो इस आपात दशा से उबरने के बाद भारत का भविष्य तो उज्ज्वल दिख रहा है।

उत्तिष्ठ भारत:!
उत्तिष्ठ भारत:!
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