कड़े प्रसाद जैसा हुनरमंद आदमी कहीं भी रहे, अपने लिये काम और रोजगार तलाश ही लेगा। पूंजी भी ज्यादा नहीं चाहिये – कुछ बर्तन, गैस-चूल्हा और नमकीन के पैकेट बनाने के लिये पॉलीथीन की पन्नियां। बस।
Monthly Archives: Dec 2020
मातृ ऋण चुकाया नहीं जा सकता
उस धनी का कहना भर था कि उस मंदिर की नीव का पत्थर मिट्टी में धसकने लगा। मंदिर एक ओर को झुकने लगा। वह झुका मंदिर एक वास्तविकता है।
आज तो कोहरा घना है – प्रतिनिधि चित्र
आज तो मन है बिस्तर में ही चाय नाश्ता मिल जाए। उठना न पड़े। बटोही (साईकिल) को देखने का भी मन नहीं हो रहा। आज तो कोहरा घना है। यह प्रकृति की व्यक्तिगत आलोचना है! पता नहीं बिसुनाथ का क्या हाल होगा। वह तो आपने एक कमरे के घर में बाहर पुआल के बिस्तर परContinue reading “आज तो कोहरा घना है – प्रतिनिधि चित्र”
स्कूल बंद हैं; पढ़ाने का जिम्मा दादाजी का हो गया है।
कोरोना काल में इस बूढ़ी पीढ़ी के पास एक काम आ गया है। और वह काफी मेहनत से उसे करती दिखती है। … जय हो, इन दादाजी की!
मुकेश पाठक का शहद का कॉम्बो पैक
मुकेश जी मधुमक्खी पालन में दो प्रकार से समस्याओं से जूझ रहे हैं। मधुमक्खी पालन अपने आप में चुनौती है। यह एक घुमंतू व्यवसाय है जिसमें स्थान परिवर्तन के कारण रखरखाव, लॉजिस्टिक्स और प्रबंधन की विकट समस्यायें हैं। इसके अलावा ब्राण्डेड शहद में मक्का-चावल शर्करा घोल का मिलाना दूसरी बड़ी समस्या है, जो मधुमक्खी पालन की प्रतिद्वंद्विता में सेंध लगाती है।
अलाव
प्रज्वलित होती आग को निहारते समय अगर आदमी मौन हो कर सोचने की प्रक्रिया में उतरे तो जीवन, उसकी सार्थकता, मरण और मरण के आगे के कई प्रश्न तैरने लगते हैं। उन प्रश्नों और विचारों को सयास पकड़ना और भविष्य के लिये संंजोना एक अभूतपूर्व अनुभव है।