गांवदेहात में रहते हुये मुझे बहुत खुशी तब होती है जब मुझे अपने जीवन की जरूरतें, वस्तुयें और सुविधायें लोकल तौर पर मिलने लगें। वे सब मेरी साइकिल चलाने की दूरी भर में उपलब्ध हों। उनके लिये मुझे वाहन ले कर शहर न जाना पड़े।
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कटका स्टेशन का लेवल क्रॉसिंग
वह लेवल क्रॉसिंग बहुत खराब है, पर उससे भी ज्यादा खराब मैंने देखे हैं। अगर उससे एक दो बार गुजरना होता तो शायद मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। दिक्कत यह है कि मुझे अपनी साइकिल ले कर दिन में दो चार बार उससे गुजरना होता है।
लोलई राम गुप्ता का भिण्डा
खांची में कई छेदों वाली पूपली के कई पैकेट थे। एक पैकेट बीस रुपये का। खुदरा में दो रुपये का एक बेचते होंगे दुकानदार। उसका नाम फेरीवाले ने बताया – “लोग चिप्स कहते हैं पर हम उसे भिण्डा कहते हैं। कटी भिण्डी जैसा दिखता है।”
