गोण्डा-बलरामपुर का क्षेत्र पूर्वांचल का देहाती-पिछड़ा-गरीब क्षेत्र है। पर मैने उन बच्चों को देखा तो पाया कि लगभग सब के सब के पैरों में चप्पल या जूता था। सर्दी से बचाव के लिये हर एक के बदन पर गर्म कपडे थे।
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डायरी, घास, निठल्ला मन, राखी और यादोत्सव
घर में बहुत चांव चांव है। मुझे मेरी बहन की आयी राखी बिटिया ने बांधी। बहन की याद आ रही है। उसके बहाने अपनी माँ-पिताजी की भी याद आ रही है। कोई भी त्यौहार क्या होता है, उम्र बढ़ने के साथ वह अतीत का यादोत्सव होने लगता है।
पार्वती मांझी
गांवदेहात की पार्वती न केवल खुद अपने पैरों पर खड़ी है, वरन अपने साथ 5-6 अन्य को भी रोजगार दिला रही है। क्या खूब बात है! हेलो प्रधानमंत्री जी; आर यू लिसनिंग!
