अर्थव्यवस्था को ले कर नौजवान रोना रो रहे हैं। #गांवदेहात में आठ हजार की मासिक आमदनी का मॉडल तो इस्माइल जी आज दे दिये मुझे।
…मुझे किसी अंगरेजी विद्वान का कथन लिखा याद आता है – न पढ़े होते तो सौ तरीके होते खाने-कमाने के!
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खेत की निराई
उसने अन्य खरपतवार के नाम भी बताये। अंकरी, मटरहिया घास (मटर में उगने वाली और मटर के पौधे जैसी दिखने वाली घास), तीनपत्तिया, गेन्हुई घास (गेंहूं का क्लोन) और बरसीम – इनको निकाल निकाल कर मुझे दिखाया।
सवेरे की घुमंतू दुकान
“इस इलाके में ज्यादातर लोग ऐसे ही काम कर रहे हैं। और कुछ करने को नहीं है; इस लिये जो मिल रहा है, किये जा रहे हैं।”
