पूरे दस साल बाद यह रीपोस्ट। इसके दो चित्र मैंने बिंग फोटो जेनरेटर AI से बनाये हैं।
नोश्टॉल्जिया और भविष्य की तकनीक का एक घालमेल।
और बदलती जलवायु का अभास भी। आज प्रचण्ड गर्मी है और तब तेज बारिश हुई थी!
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शिवकुटी घाट पर अमौसा के दिन
गंगा किनारे फिसलन थी। उन महिलाओं को उसी का भय था। मैंने (बबिता ने) उन्हें कहा कि अगर आपको आपत्ति न हो तो मैं गंगाजी को आपके फूल चढ़ा सकती हूं।
प्रयागराज में सवेरे साइकिल चलाना रुच रहा है
गांव और शहर दोनों के साइकिल भ्रमण के अपने अलग अलग चार्म हैं. मन अब दोनों से आकर्षित होता है.
