किशोर वय की लड़कियां थीं। वे यह पूजा-अनुष्ठान किस लिये करती होंगी? हर व्यक्ति कोई न कोई ध्येय गंगा स्नान और पूजा से जोड़ता है। उनके सामने क्या ध्येय होगा?
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गुक्खल
“अपनी माँ को उठा कर गिरनार की 10099 सीढ़ियाँ चढ़ कर जूनागढ़ में हो आया हूं। माँ को सुदामापुरी द्वारका, बेट द्वारका आदि दिखा लाया था।” – गुक्खल अपनी यात्राओं के बारे में बताते हैं।
श्री मंगल आश्रम से जसदाण और आगे
हम दोनो की सोच में यह एक मूलभूत अंतर है। उनकी खराब अनुभवों को याद रखने की आदत है ही नहीं। झटक कर आगे चलने की है। पर मैं उसे याद ही नहीं रखता, वह याद मुझे बराबर सालती रहती है – अपने को कोसती रहती है।
