आसपास देखें तो जो दुख, जो समस्यायें, जो जिंदगियां दिखती हैं, उनके सामने कोरोना विषाणु की भयावहता तो पिद्दी सी है। पर जैसा हल्ला है, जैसा माहौल है; उसके अनुसार तो कोरोना से विकराल और कुछ भी नहीं।
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स्वैच्छिक लॉकडाउन या अपने पर ओढ़ा एकांतवास #गांवकाचिठ्ठा
पछुआ हवा है। लू बह रही है। वे भविष्यवक्ता जो कह रहे थे कि तापक्रम बढ़ते ही कोरोनावायरस अपने आप खतम हो जायेगा, अपनी खीस निपोर रहे हैं। ज्योतिषी लोग अपने अपने गोलपोस्ट बदल रहे हैं।
गांव लौटे लोग बिना रोजगार ज्यादा बैठ नहीं पायेंगे #गांवकाचिठ्ठा
अगर उन्हें घर पर रहते हुये एक सम्मानजनक व्यवसाय मिल जाता है, जो प्रवास से भले ही कुछ कम आमदनी दे, तो वे सब यहीं रुक जायेंगे और यह समाज और उत्तर प्रदेश की बड़ी जीत होगी।
