गंगा किनारा और बालू लदान के मजदूर


काम मेहनत का है। सो 3-4सौ (गांव का रेट) न कम है न ज्यादा। जो गांव में रहना चाहते हैं, वे इसको पसंद करेंगे; वर्ना अवसर देख कर महानगर का रुख करेंगे। मजदूर गांव/महानगर के बीच फ्लिप-फ्लॉप करते रहते हैं।

क्या लिखोगे पाँड़े, आज?


आगे तीन बालक दिखे सड़क किनारे। ताल में मछली मारे थे। छोटी छोटी मछलियाँ। ताल का पानी एक छोटे भाग में सुखा कर पकड़ी थीं। आधा घण्टा का उपक्रम था उनका। अब वे आपस में पकड़ी गयी मछलियों का बंटवारा कर रहे थे।

मॉपेड ने तिगुनी की इस्माइल की बिक्री


इस्माइल फेरीवाला ने मॉपेड खरीद ली है। बीस हजार का डाउन पेमेण्ट किया है, बाकी किश्त। करीब चौबीस सौ रुपया महीने की किश्त होगी। पहले साइकिल से चलता था तो आस पास के दस किलोमीटर का राउण्ड लगाता था। अब कछवाँ तक हो आता है। ज्यादा दूर तक जाने और नयी दुकानें कवर करने सेContinue reading “मॉपेड ने तिगुनी की इस्माइल की बिक्री”

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