हनुमान मंदिर के ओसारे में


शादियों का मौसम है। हनुमान मंदिर के ओसारे में एक बरात रुकी थी। जमीन पर बिस्तर लगे थे। सवेरे सवेरे कड कड करता ढोल बज रहा था। लोग उठ चुके थे। संभवत: बिदाई का समय होने जा रहा था। मैने देखा- बारातियों ने हनुमान मंदिर के नीम को नोच डाला था दतुअन के लिए। निपटानContinue reading “हनुमान मंदिर के ओसारे में”

आउ, आउ; जल्दी आउ!


वह सामान्यत: अपने सब्जी के खेत में काम करता दीखता है गंगाजी के किनारे। मेहनती है। उसी को सबसे पहले काम में लगते देखता हूं। दशमी के दिन वह खेत में काम करने के बजाय पानी में हिल कर खड़ा था। पैण्ट उतार कर, मात्र नेकर और कमीज पहने। नदी की धारा में कुछ नारियल,Continue reading “आउ, आउ; जल्दी आउ!”

विन्ध्याचल और नवरात्रि


चैत्र माह की नवरात्रि। नौ दिन का मेला विन्ध्याचल में। विन्ध्याचल इलाहाबाद से मुगलसराय के बीच रेलवे स्टेशन है। मिर्जापुर से पहले। गांगेय मैदान के पास आ जाती हैं विन्ध्य की पहाड़ियां और एक पहाडी पर है माँ विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ। जैसा सभी शक्तिपीठों में होता रहा है, यहाँ भी बलि देने की परम्परा रहीContinue reading “विन्ध्याचल और नवरात्रि”

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